Description
“महाभोज” की कहानी एक दलित युवक सुवारन की रहस्यमयी मृत्यु से शुरू होती है, जिसे राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था आत्मसात कर जाती है। इस मृत्यु की सच्चाई सामने लाने का संघर्ष, और इसके इर्द-गिर्द घूमते राजनीतिक षड्यंत्र, मीडिया की भूमिका, अधिकारियों की मिलीभगत और दलित उत्पीड़न को उपन्यास बारीकी से उजागर करता है।
कहानी में दिखाया गया है कि किस तरह एक इंसान की मौत को राजनेता, पत्रकार, अधिकारी और सामाजिक कार्यकर्ता अपने-अपने स्वार्थों की पूर्ति का साधन बना लेते हैं।
सुवारन – जिसकी मृत्यु का रहस्य पूरे उपन्यास का मूल है।
भानु – एक ईमानदार पत्रकार, जो सच्चाई की खोज करता है।
राजनीतिक नेता, प्रशासनिक अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता – जो अपने-अपने स्वार्थों में उलझे हैं।
यह उपन्यास सत्ता की भूख, भ्रष्टाचार और लोकतंत्र की विफलताओं को उजागर करता है।
समाज में हाशिए पर खड़े व्यक्ति की आवाज़ और अस्तित्व की बात करता है।
इसमें यथार्थपरक चित्रण, गहन सामाजिक संवेदना, और तीखा व्यंग्य** है।
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