Description
राग दरबारी’ एक छोटे से गाँव शिवपालगंज की कहानी है, जहाँ शिक्षा, राजनीति, प्रशासन और सामाजिक व्यवस्थाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार, पाखंड और अवसरवादिता का गहराई से चित्रण किया गया है।
इस गाँव की सत्ता संरचना, वहाँ के नेता, मास्टर, प्रधान और ठाकुर जैसे पात्र — सब मिलकर एक ऐसे तंत्र को जन्म देते हैं जो खुद को ही बनाए रखने में व्यस्त है।
मुख्य पात्रों में:
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रंगनाथ – एक पढ़ा-लिखा युवक जो शहर से गाँव आता है और वहाँ की व्यवस्था देखकर हैरान होता है।
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वैद्यजी – गाँव के असली “पॉवर सेंटर”, जो चालाकी और जोड़-तोड़ से पूरे गाँव की राजनीति चलाते हैं।
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यह उपन्यास हास्य और व्यंग्य के माध्यम से भारतीय सामाजिक-राजनीतिक व्यवस्था की विडंबनाओं को उजागर करता है।
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भाषा शैली बेहद सरल, व्यावहारिक और व्यंग्यात्मक है।
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‘राग दरबारी’ सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि एक व्यवस्था का आईना है जिसमें आज भी देश के कई हिस्सों की झलक मिलती है।
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