Description

“पिंजर” का शाब्दिक अर्थ होता है — कंकाल या पिंजरा, और यह उपन्यास एक महिला की ऐसी ही स्थिति को दर्शाता है जिसे समाज, धर्म और राजनीति के पिंजरे में कैद कर दिया जाता है।

मुख्य पात्र पूरो, एक हिंदू लड़की है, जिसका अपहरण एक मुस्लिम युवक राशिद द्वारा कर लिया जाता है। यह अपहरण एक पुराने पारिवारिक झगड़े की आग में घी डालता है। पूरो राशिद के साथ रहना शुरू कर देती है और समाज द्वारा “स्वीकार न की गई” और “सम्मान खो चुकी” महिला मानी जाती है।

हालाँकि समय के साथ वह अपने हालात को अपनाती है, लेकिन उसका दर्द, पहचान की तलाश और स्त्रीत्व की कैद — उपन्यास का मुख्य स्वर बन जाता है।

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