Description

  • यह कहानी सुबोध चौबे नामक छात्र और रॉली नाम की एक निडर, आत्मनिर्भर छात्रा के बीच के रोमांटिक रिश्ते को रेखांकित करती है। उनमें पढ़ाई-इश्क में समन्वय बनाने का संघर्ष और भावनात्मक जटिलताएँ दिखती हैं

  • बनारसी बोली और स्थानीय भाषा का जीवंत इस्तेमाल पाठ में जीवन का एहसास देता है—लेखक शुद्ध हिंदी के बजाय जनभाषा का प्रयोग करते हैं, जिससे भाषा में सहजता और स्थानीयपन आता है

  • उपन्यास का नाम‑उपशीर्षक भी दर्शाता है कि “कुल्हड़ भर इश्क” अर्थात सटीक, संतुलित मात्रा में प्यार और पढ़ाई दोनों को संभालने का संदेश दिया गया है

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