Description
यह किताब दर्शाती है कि पैसा संभालना केवल गणित नहीं है, बल्कि इसमें व्यक्ति का व्यवहार, भावनाएं, अनुभव, अहंकार और दुनियादारी की मिश्रित प्रक्रिया होती है
इसमें लेखक 19 छोटे, बोधगम्य कहानियों के माध्यम से बताता है कि लोग धन के संदर्भ में कैसे सोचते-समझते हैं और कैसे अक्सर अनजाने में गलत कदम उठा लेते हैं ।
हर कहानी एक विशिष्ट वित्तीय व्यवहार, प्रेरणा या पूर्वाग्रह पर प्रकाश डालती है—जैसे धैर्य, विनम्रता, सौभाग्य, जोखिम और चाप–जोड़ क्षमता आदि ।
यह किताब तकनीकी ज्ञान (जैसे फॉर्मूला या डेटा) से ज़्यादा मनोवैज्ञानिक समझ पर केंद्रित है।
इसका लक्ष्य पाठकों को अपने धन के साथ बेहतर संबंध बनाना, बचत, निवेश, और आर्थिक निर्णयों में मजबूत मनोवैज्ञानिक सोच लाना है।
यह आत्म-निरीक्षण कराता है कि कैसे हमारा मूल्यांकन और पूर्वधारणाएँ वित्तीय फैसलों को प्रभावित करती हैं
क्यूँ पढ़ें?
यह उन लोगों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जो मूलभूत वित्तीय ज्ञान से आगे बढ़कर, अपने आदतों और मनोवृत्तियों को समझना चाहते हैं।
किताब में दी गई कहानियाँ, नवीनतम आर्थिक सिद्धांतों के बजाय, मानव मनोविज्ञान की सरल व्याख्या देती हैं—जो व्यवहार में बदलाव लाने में मदद करती हैं ।
कई पाठकों ने माना है कि यह किताब:
“पैसे के प्रति हमारे मन का रिश्ता समझने में मदद करती है… यह किसी गेट-रिच-स्कीम की किताब नहीं है”
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