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Pratigya | प्रतिज्ञा | Hindi | by Premchand

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Description

प्रेमचंद, हिंदी साहित्य के एक ऐसे स्तंभ हैं जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज के विभिन्न पहलुओं को बड़ी बारीकी से उजागर किया है। उनकी रचनाएँ सिर्फ कहानियाँ नहीं हैं, बल्कि समाज का एक आईना हैं जो हमें हमारे आस-पास घटित हो रही घटनाओं पर गहराई से सोचने पर मजबूर करती हैं।

  • प्रेमा की कहानी में एक नया मोड़: प्रेमचंद ने “प्रतिज्ञा” में प्रेम की कहानी को एक नए आयाम में ले जाकर उसे एक नई परिभाषा दी है। उन्होंने दिखाया है कि प्रेम सिर्फ रोमांस ही नहीं होता, बल्कि यह एक जिम्मेदारी भी होती है।
  • सामाजिक परिवर्तन का संदेश: यह उपन्यास हमें समाज में हो रहे परिवर्तनों के बारे में सोचने पर मजबूर करता है। प्रेमचंद ने इस उपन्यास के माध्यम से समाज में हो रहे बदलावों को बड़ी बारीकी से चित्रित किया है।
  • महिलाओं की स्थिति: उपन्यास में महिलाओं की स्थिति और उनके संघर्षों को भी बड़ी बारीकी से दिखाया गया है। यह उपन्यास हमें महिलाओं के अधिकारों के बारे में जागरूक करता है।
  • समाज की बुराइयाँ: प्रेमचंद ने इस उपन्यास में समाज की कई बुराइयों को भी उजागर किया है। जैसे कि: जातिवाद, छुआछूत, और महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचार।
  • साहित्यिक शैली: प्रेमचंद की साहित्यिक शैली बहुत ही सरल और सहज है। उनकी भाषा इतनी सरल है कि आम आदमी भी आसानी से उनकी रचनाओं को समझ सकता है।

“प्रतिज्ञा” एक ऐसा उपन्यास है जिसे हर किसी को पढ़ना चाहिए। यह उपन्यास आपको रोमांचित करने के साथ-साथ आपको सोचने पर भी मजबूर करेगा। यह उपन्यास आपको एक बेहतर इंसान बनने के लिए प्रेरित करेगा।

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